
Publicuwatch24.com-बिलासपुर। जिले का तालापारा इस समय पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एकता और भाईचारे की अनोखी मिसाल बन गया है। यहां हिंदू और मुस्लिम समाज ने मिलकर ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो हमारे समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।
तालापारा का यह इलाका मुस्लिम बहुल मोहल्ला है। यहीं पर सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति ने गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित की है। पंडाल में रोजाना पूजा-अर्चना और आरती होती है। आश्चर्य की बात यह है कि इस पंडाल के ठीक पास ही एक मस्जिद स्थित है। मस्जिद में इन दिनों ईद मिलादुन्नबी के मौके पर जश्न का कार्यक्रम चल रहा है। यहां पर जब गणेश जी की आरती होती है, तब मस्जिद की ओर से माइक बंद कर दिया जाता है। और जब मस्जिद में मिलाद शरीफ शुरू होता है, तब गणेश उत्सव समिति अपने पंडाल का माइक और बाजा बंद कर देती है। यह आपसी सम्मान, सहयोग और समझदारी का ऐसा नजारा है, जो बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिलता है। गणेश समिति के सदस्य बताते हैं कि वे पिछले 12 साल से यहां गणपति की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। पंडाल के पास मस्जिद भी है और इस दौरान वहां भी कार्यक्रम चलते हैं। लेकिन कभी महसूस नहीं किया कि कोई परेशानी हो। उल्टा दोनों धर्मों के लोग मिलकर एक-दूसरे के त्यौहार में शामिल होते हैं। यही असली भारत की तस्वीर है।
वहीं, मुस्लिम समुदाय के लोग भी यही कहते हैं कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। जब गणेश पूजा होती है तो वे सहयोग करते हैं, और जब मस्जिद में मिलाद होता है तो हिंदू भाई चुपचाप उनका सम्मान करते हैं। यही भाईचारा हमें जोड़ता है, हमें मजबूत बनाता है।तालापारा का यह दृश्य सचमुच दिल को छू लेने वाला है। मस्जिद के सामने गणेश प्रतिमा, और गणेश प्रतिमा के पास मस्जिद दोनों की गूंज एक साथ इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देती हैआज जब समाज में छोटी-छोटी बातों पर मतभेद और विवाद खड़े कर दिए जाते हैं, ऐसे माहौल में तालापारा ने पूरे देश को यह संदेश दिया है कि धर्म बांटने के लिए नहीं, जोड़ने के लिए बने हैं।
यहां का माहौल हमें बताता है कि अगर दिलों में मोहब्बत हो, तो न कोई दीवार खड़ी होती है, न कोई दूरी बनती है। यहां हिंदू भाई अपने मुस्लिम पड़ोसियों के त्यौहार का सम्मान करते हैं और मुस्लिम भाई गणेश उत्सव में सहयोग करते हैं। यही असली भारत है, यही असली संस्कृति है।एकता और भाईचारा ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। और तालापारा ने यह साबित कर दिया है कि अगर मोहब्बत कायम रहे तो मंदिर और मस्जिद एक-दूसरे के पड़ोसी बनकर भी सिर्फ प्यार और शांति का संदेश दे सकते हैं।