
publicuwatch24.-भिलाई। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रानी तराई में छत्तीसगढ़ के प्रख्यात मॉडर्न आर्ट चित्रकार डी.एस.विद्यार्थी तथा मूर्तिकार डॉ. अंकुश देवांगन की एक दिवसीय कला प्रदर्शनी लगाई जाएगी। शनिवार 19 जुलाई को लगने वाले इस प्रदर्शनी में विद्यार्थी की माडर्न आर्ट पेन्टिंग तथा अंकुश की दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियां और चांवल के दानों पर बने चित्रों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस दौरान दोनो कलाकार स्कूली बच्चों को निशुल्क चित्रकला का प्रशिक्षण देंगे साथ ही वर्तमान समय में कला के माध्यम से पढ़ाई के स्ट्रेस को दूर करने की टिप्स भी देंगे। प्रिंसिपल कल्याणी देवांगन और कार्यक्रम संयोजक ललित ठाकुर ने बच्चों से आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सभी उपस्थित रहें।
ज्ञात हो कि डी.एस.विद्यार्थी तथा डॉ. अंकुश देवांगन समकालीन भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला जगत के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। जिन्होंने अपनी कला से एक विशिष्ट पहचान बनाई है। अंकुश देवांगन की उल्लेखनीय कलासाधना को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें स्वस्फूर्त ललित कला अकादमी नई दिल्ली का मानद सदस्य बनाया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इस प्रतिष्ठित संस्थान में छत्तीसगढ़ से वे पहले कलाकार हैं जो एक्जीक्यूटिव बोर्ड में शामिल हैं। आज के दौर में जब कलाकार महानगरों में स्थित बड़ी-बड़ी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने दौड़ लगा रहे हैं। तब इन दोनो कलाकारों ने उक्त स्टेट्स सिंबल को तोड़ते हुए अपनी विश्वस्तरीय कला को आमजन के लिए सुलभ बना दिया है। बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी वे वर्षों से कलाप्रदर्शनी लगाते आ रहे हैं जहां संसाधनों के अभाव में पेड़ो पर रस्सी बांधकर पेन्टिंग दिखाते हैं। ग्रामीण इलाकों में इन प्रदर्शनियों के दिन त्यौहार सा माहौल बन पड़ता है।
बच्चे, बड़े और बूढ़े, बूढ़ीयां सब उमड़ पड़ते हैं और कौतूहल से इन कृतियों को देखते रह जाते हैं। माडर्न आर्ट कलाएं जिसे दुनिया भर के कलाकारों ने बड़ा क्लीष्ट बना दिया है उसे डी.एस.विद्यार्थी ने भारतीय शैली में सहज बना दिया है। यह कलाएं अपना संदेश स्पष्ट रूप से कह जाती है। वर्तमान में वे गीता के 700 श्लोकों पर पेन्टिंग बनाने का ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं। वहीं अंकुश की सूक्ष्मकलाएं लोगों को दांतो तले ऊंगली दबाने पर मजबूर कर देती है कि क्या ऐसी भी मूर्ति और पेन्टिंग हो सकती है जो खुली आंखों से न दिखे। अंकुश ने सिर्फ दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियां ही नहीं बनाई है वरन् दुनिया के सबसे बड़े लौहरथ (दल्ली राजहरा) और दुनिया के सबसे लंबे भित्तिचित्रण (पुरखौती मुक्तागन, रायपुर) का भी निर्माण किया है जिसके लिए उन्हें लिम्का व गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड का पुरस्कार भी मिला है। भिलाई में सिविक सेंटर का कृष्ण अर्जुन रथ, छोटा परिवार चौक, रूआबांधा का पंथी चौक, भिलाई निवास का नटराज उनके कला के ऊंचाईयों को प्रदर्शित करता है। महानगरों की सूनी आर्ट गैलरियों की बनिस्बत गांव के नुक्कड में लगाने वाली उनकी प्रदर्शनी अप्रत्याशित रूप से सफल होती है। जो कला आनंदम ददाति के हजारों साल पुराने भारतीय दर्शन को चरितार्थ करती है। यही वजह है कि ये कलाकार शहर की ओर भागने की बजाए गरीब ग्रामीणों के आनंद में ही अपना आनंद ढूंढ लेते हैं।